मानव के अंतर में,
जो कुछ उत्तमतर है,
उसके अभिव्यंजन का,
जीवन यह अवसर है!
सुखमय वह केवल जो,
इस तप में तत्पर है!
हरिवंश राय बच्चन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें